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Monday, April 19, 2010

aas...........

क्यूँ लोग कहते है की प्यार
इजहार का मोहताज नहीं होता,
कौन कहता है की खामोश जुबा पे
कोई गहरा राज नहीं होता;

मेरे अनकही प्यार के इजहार की आस में
तन्हा ही हर लम्हा हर पल जलता हूँ,
रख कर दिल की बातों को जुबा पे,
इजहार को हर रोज घर से निकलता हूँ;

पर ना जाने क्यूँ वो सुनती ही नहीं
इस अनकही प्यार की कहानी को,
मै तो देखता हु उसकी आँखों में एक सैलाब
पर क्यों वो देख नहीं पाती मेरी आँखों के पानी को;

सुना है प्यार नाम है अनकही बातों को समझने का
पर वो मेरी खामोशी समझती ही नहीं
मन हमें सलीके मालूम नहीं इजहार के
पर खुद वो भी हमसे कुछ कहती ही नहीं

मन की हमने उन्हें पाया ही नहीं
फिर भी डर है की उन्हें खो न दू,
माना वो कभी थे ही नहीं वो हमारे
फिर भी लगता है उनकी जुदाई में रो न दू;

अब तो बस साथ है आप दोस्तों का
वरना जिंदगी में वीरानी छा जाती
शुक्रिया की संभाला आपने मुझे वरना
मेरी दुनिया तन्हाई में खो जाती|
"KUMAR"
19-04-10

1 comment:

  1. first of all-u r looking good in ur adidas t-shirt
    well all ur poems r really ecstatic and one thing more u r a gr8 grandson........i liked ur poem which u dedicated to ur grandpa

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