इस बार सावन में फिर वो ठूंठ
शायद हरा भरा हो जाएगा
हर डाली पे पत्ते उग आयेंगे
फिर वो भी मस्त हवा में लहराएगा
ना जाने कितने पक्षियों को
एक नया आशियाना मिल जाएगा
कितने बच्चो को बचपने का
एक मनमाना तोहफा मिल जाएगा
गली के हर मजनू हर आशिक को
नयन मटक्के का नया ठिकाना मिल जाएगा
एक अरसे से खामोश जुंग खायी बूढी हड्डियों को
बातिएँ बनाने का नया बहाना मिल जाएगा
न जाने कितनी ही भूली बिसरी बातें
फिर लोगो के ज़ेहन में आएँगी
तो कही कोई किस्सा पुराना
भरे जख्म को ताज़ा कर जाएगा
कुछ आँखें नम होंगी
तो कोई मन ही मन मुस्काएगा
इन मिली जुली भावनाओ के बीच
एक ठूंठ को नया जीवन मिल जाएगा
नीचे की उसकी डाली पे
कोई बच्चा झुला कही लगाएगा
उन नन्हे बच्चो की बातो पे
वो ठूंठ भी ठहाके लगाएगा
बैठ के उसकी डाली पे
कोई कोयल कही कूकेगी
तो कही कोई नर अपनी मादा की खातिर
ऊँची तान में गायेगा
उसकी डाली डाली झूमेगी
और पत्ता पत्ता गायेगा
इस सावन में ठूंठ शायद
फिर से हरा भरा हो जाएगा
इन सब के बीच वो ठूंठ ना जाने
कितनी ही बातो का कितनी यादो का
चोरी छुपे हुई मुलाकातों का गवाह बन जाएगा
और इन सारे पालो को वो अमर कर जाएगा
क्या पता कल हम कहा हो
और जब वापस यहाँ आये तो
ये ठूंठ हो न हो
पर यादो में ये ठूंठ हर दिन आएगा
अगर सुख जायेगी कभी मन की कोई डाली
तो ये उस डाली को यादो से हरा भरा कर जाएगा
इस बार सावन में फिर वो ठूंठ
शायद हरा भरा हो जाएगा
उसकी डाली डाली झूमेगी
और पत्ता पत्ता गायेगा
इस बार सावन में फिर वो ठूंठ ...
शायद हरा भरा हो जाएगा
"अधृत"
12-02-10
शायद हरा भरा हो जाएगा
हर डाली पे पत्ते उग आयेंगे
फिर वो भी मस्त हवा में लहराएगा
ना जाने कितने पक्षियों को
एक नया आशियाना मिल जाएगा
कितने बच्चो को बचपने का
एक मनमाना तोहफा मिल जाएगा
गली के हर मजनू हर आशिक को
नयन मटक्के का नया ठिकाना मिल जाएगा
एक अरसे से खामोश जुंग खायी बूढी हड्डियों को
बातिएँ बनाने का नया बहाना मिल जाएगा
न जाने कितनी ही भूली बिसरी बातें
फिर लोगो के ज़ेहन में आएँगी
तो कही कोई किस्सा पुराना
भरे जख्म को ताज़ा कर जाएगा
कुछ आँखें नम होंगी
तो कोई मन ही मन मुस्काएगा
इन मिली जुली भावनाओ के बीच
एक ठूंठ को नया जीवन मिल जाएगा
नीचे की उसकी डाली पे
कोई बच्चा झुला कही लगाएगा
उन नन्हे बच्चो की बातो पे
वो ठूंठ भी ठहाके लगाएगा
बैठ के उसकी डाली पे
कोई कोयल कही कूकेगी
तो कही कोई नर अपनी मादा की खातिर
ऊँची तान में गायेगा
उसकी डाली डाली झूमेगी
और पत्ता पत्ता गायेगा
इस सावन में ठूंठ शायद
फिर से हरा भरा हो जाएगा
इन सब के बीच वो ठूंठ ना जाने
कितनी ही बातो का कितनी यादो का
चोरी छुपे हुई मुलाकातों का गवाह बन जाएगा
और इन सारे पालो को वो अमर कर जाएगा
क्या पता कल हम कहा हो
और जब वापस यहाँ आये तो
ये ठूंठ हो न हो
पर यादो में ये ठूंठ हर दिन आएगा
अगर सुख जायेगी कभी मन की कोई डाली
तो ये उस डाली को यादो से हरा भरा कर जाएगा
इस बार सावन में फिर वो ठूंठ
शायद हरा भरा हो जाएगा
उसकी डाली डाली झूमेगी
और पत्ता पत्ता गायेगा
इस बार सावन में फिर वो ठूंठ ...
शायद हरा भरा हो जाएगा
"अधृत"
12-02-10