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Friday, June 25, 2010

saath tumne chhoda tha

प्रेयसी मै हर हाल में लौट कर आऊंगा
जरा सोचो दूर रहकर तुमसे
भला मै कैसे जी पाऊंगा
मुझे यकीं तुम तब भी
वही पे खड़ी मिलोगी
दिल का दरवाजा क्यों बंद रखोगी
मेरे बगैर तुम कैसे जियोगी
मै तो तेरी साँसों में बस्ता था
साँसों के बगैर कैसे जियोगी
जरा जोर डालना मेरी आँखों में
जिन्हें जूठी कहानी कहती हो तुम
वो दरअसल मेरी मज़बूरी है
कोई पर्दा न था हमारे दर्मिया
बस एक बात ही तो छुपाई थी
तुझसे दूर जाने में मेरी भी जान निकल आई थी
हमें परवाह नहीं हम खुश रहे न रहे
उम्मीद है मेरी हर खुसी तेरे ही हिस्से आएगी
ताउम्र खुसी अपनी तुझे दी थी
और गुम का बस एक हिस्सा तेरे नाम किया था
और तुझे लगा मै
तेरी जिंदगी उलझाने चला था
बेशक तुम अपने अस्को का क़र्ज़ चुकाओ
खुल कर तुम आज
मेरी बदहाली का जश्न मनाओ
जितना चाहे मुझे बिरह कि आग में जलाओ
पर बस मेरी ये बात सुनती जाओ
हम दूर गए ताकि
पास आने का आनंद मिल सके
बस ये सुनते जाओ कि
हमने भी तेरा साथ नहीं छोड़ा था
बस एक अदना सा वादा तोडा था
जिस सपने को मिलकर देखा था हमने
उसका एक जर्रा तोडा था
मैंने तेरा साथ नहीं छोड़ा था
थोड़ी सी गलती तेरी थी
और उसमे मेरा हिस्सा थोडा था
मै भी कह सकता हु कि
साथ मैंने नहीं तुमने छोड़ा था
हां साथ तुमने ही छोड़ा था
"ARSH"
25-06-10

Wednesday, June 2, 2010

aye naari.......

                       परिवार समाज और देश के वास्तविक शिल्पकार को आभार प्रकट    
                                                    करते हुए ये नज़्म पेश कर रहा हु|

                                                      उम्मीद है आपको पसंद आएगी! 



सृष्टि की सबसे उत्तम कृति
प्रकृति के सृजन का आधार है नारी,
अपने आँचल में समेटे ममता अपार
भगवान् का उपहार है नारी;
सहनशीलता की अद्भुत मूरत
हरसंभव त्याग करने को तैयार है नारी,
मर्यादा और लाज की प्रतिमूर्ति
भगवन का शास्वत प्यार है नारी;
अन्नपुर्णा के गुणों से युक्त
हर घर की सूत्रधार है नारी,
झुक गया है सर तेरे सजदे में
तुझको प्रणाम बारम्बार हे  नारी|

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